दिल्ली का बढ़ा तापमान, गलन में नहीं आई कमी; जारी है कड़ाके की ठंड और कई इलाकों में छाया कोहरा
देश की राजधानी दिल्ली में शुक्रवार सुबह ठंड से कुछ राहत मिली। आज सुबह यहां का तापमान 7.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य तापमान से एक डिग्री कम है।
हालांकि तापमान में बढ़त का असर गलन में नहीं दिखा। दिल्ली-एनसीआर में तापमान में वृद्धि के बाद भी गलन और ठिठुरन से लोगों को राहत नहीं मिली है।
कम दृश्यता के चलते प्रभावित हुईं उड़ानें
इसके साथ ही आज सुबह 4 बजे आईजीआई एयरपोर्ट पर दृश्यता शून्य मापी गई जिसमें धीरे-धीरे सुधार हुआ लेकिन इसके चलते कई उड़ानें प्रभावित हुईं।
आईएमडी ने एक एक्स पोस्ट में कहा, 'पालम हवाईअड्डे (दिल्ली) पर सुबह 4.30 बजे दृश्यता 00 मीटर रही जो सुबह 5.00 बजे 50 मीटर हुई और सुबह 6.30 बजे यह 150 मीटर दर्ज की गई।
हालांकि सुबह 8.00 बजे पालम में 500 मीटर और सफदरजंग में 400 मीटर दृश्यता दर्ज की गई।
बहुत खराब श्रेणी में दर्ज की गई वायु गुणवत्ता
इसके अलावा, शहर भर के कई स्टेशनों पर हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, आनंद विहार क्षेत्र में, सुबह 9 बजे PM2.5 का स्तर 348 पर 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज किया गया और पीएम10 242 या 'खराब' पर पहुंच गया।
क्या है वायु गुणवत्ता के मानक
शून्य और 50 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को 'अच्छा' ; 51 और 100 'संतोषजनक'; 101 और 200 'मध्यम'; 201 और 300 'मॉडरेट'; 301 और 400 'बहुत खराब'; और 401 और 500 'गंभीर' माना जाता है।
आईजीआई हवाईअड्डे टी3 पर पीएम2.5 का स्तर 210 या 'खराब' रहा, जबकि पीएम10 135 पर था, जो 'मध्यम' श्रेणी में आता है।
अभी कम नहीं होगी ठंड
मौसम विज्ञानियों का कहना है कश्मीर व हिमालय की ओर से आने वाली बर्फीली पछुआ पूरे क्षेत्र में जमकर डेरा डाल चुकी है, ऐसे में आने वाले चार-पांच दिनों तक तो ठंड से विशेष राहत की संभावना नहीं दिखती।
बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि हिमालयी क्षेत्र से उत्तर-पश्चिम की ओर से आने वाली हवा पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर इसके और आगे तक जमी हुई है। सतह से डेढ़ किमी से दो किमी ऊपर काफी तेज पछुआ हवा है, जबकि सतह पर इसकी गति काफी कम है।
सतह पर भी अगर हवा की गति बढ़ी तो ठंड में और प्रचंड वृद्धि हो जाएगी। नीचे से ऊपर तक बह रही पछुआ के चलते अभी परिदृश्य में जल्द कोई बदलाव का लक्षण नहीं दिख रहा। इसलिए चार-पांच दिनों तक गलन भरी ठंड का सामना तो करना ही है।