‘चिप’ से चमकेगा भारत का भविष्य, 2032 तक सेमीकंडक्टर उद्योग 100 अरब डॉलर पार करने को तैयार
व्यापार : देश में सेमीकंडक्टर बनाने और इससे जुड़े घरेलू उद्योग के विकास के लिए केंद्र सरकार के मजबूत प्रयासों से आयातित चिप पर भारत की निर्भरता में कमी आएगी। इसके परिणामस्वरूप देश को 10-20 अरब डॉलर की बचत होगी।
प्रमुख कंसल्टेंसी फर्म मैकेंजी ने एक रिपोर्ट में कहा, वैश्विक सेमीकंडक्टर मूल्य शृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए भारत के लिए दोहरा दृष्टिकोण अपनाने होगा। इस संभावित मूल्य को साकार करने और आयात पर निर्भरता घटाने के लिए भारत को लक्षित सरकारी प्रोत्साहनों को वैश्विक प्रौद्योगिकी दिग्गजों के साथ रणनीतिक साझेदारी के साथ जोड़ना होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आज भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग मुख्य रूप से डिजाइन केंद्रित है। वैश्विक सेमीकंडक्टर डिजाइन श्रमबल का करीब 20 फीसदी हिस्सा और प्रमुख कंपनियों के अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) केंद्रों का हब भारत में ही है। यह भारत के लिए बड़ा समर्थन है। ऐसे में देश लक्षित सरकारी प्रोत्साहनों, श्रमबल और विदेशी प्रौद्योगिकी दिग्गजों की साझेदारी का लाभ उठाकर न सिर्फ घरेलू चिप उद्योग का विस्तार कर सकता है, बल्कि वैश्विक शृंखला में अपनी स्थिति मजबूत कतर सकता है।
100 अरब डॉलर के पार पहुंचेगा भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग का आकार 2032 कर 100.2 अरब डॉलर के पार पहुंच जाएगा। 2023 में देश का सेमीकंडक्टर उद्योग 34.3 अरब डॉलर का था।
पिछले साल तीन अरब डॉलर से लेकर 11 अरब डॉलर तक की कई बड़ी परियोजनाओं की घोषणा की गई। ये घोषणाएं आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली, परीक्षण और नोड फैब्रिकेशन की दिशा में एक रणनीतिक कदम का संकेत देती हैं।
विशाल प्रतिभा व स्टार्टअप तंत्र से मिल रहा समर्थन
मैकेंजी ने कहा, सेमीकंडक्टर डिजाइन में भारत मजबूती से आगे बढ़ रहा है। इसे विशाल प्रतिभा पूल और बढ़ते स्टार्टअप तंत्र का समर्थन मिल रहा है, जो देश को दुनिया के शीर्ष तीन डिजाइन केंद्रों में से एक बनाता है। हालांकि, बड़े पैमाने पर सेमीकंडक्टर बनाने के लिए भारत को सतत प्रक्रिया अपनानी होगी और कुछ आवश्यक बदलाव भी करने होंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग 2030 तक 14 नैनोमीटर से ऊपर के नोड्स पर निर्माण कार्य पूरा करने के लिए प्रयासरत है। 10 नैनोमीटर से कम की तकनीकों की ओर बढ़ने में संभवतः अधिक समय लगेगा।
चिप निर्माण की राह में कुछ चुनौतियां भी
रिपोर्ट में सेमीकंडक्टर उद्योग के विस्तार को लेकर कुछ आवश्यक चुनौतियों का भी जिक्र किया गया है। इन चुनौतियों में अधिक पूंजी की जरूरतें, उन्नत विनिर्माण तकनीकों तक सीमित पहुंच और घरेलू आपूर्ति शृंखला में कमियां शामिल हैं। घरेलू आपूर्ति शृंखला की कमियों को दूर करने के लिए विशेष रूप से उच्च शुद्धता वाली गैसों, विशिष्ट रसायनों और अतिशुद्ध जल के मोर्चे पर काम करना होगा।
15 लाख कुशल श्रमबल की जरूरत
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 2026-27 तक मूल्य शृंखला में करीब 15 लाख कुशल और 50 लाख अर्धकुशल श्रमबल की जरूरत होगी। प्रसंस्करण, उपकरण इंजीनियर, आईसी परीक्षण इंजीनियर और क्षमता नियोजन प्रबंधक जैसी भूमिकाओं की उच्च मांग की उम्मीद है। दो से पांच वर्षों में डिजाइन, विनिर्माण, प्रशिक्षण, आपूर्ति शृंखला प्रबंधन, पैकेजिंग और लॉजिस्टिक्स में रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध होंगे।