भारत ने म्यांमार में किया ड्रोन हमला! उग्रवादी संगठन उल्फा-आई के दावे को सेना ने नकारा

गुवाहाटी: क्या भारत ने म्यांमार स्थित उग्रवादी संगठनों के ठिकाने पर एयर स्ट्राइक किया है? उल्फा (स्वतंत्र) नामक संगठन ने ऐसा ही दावा किया है. उल्फा आई ने दावा किया कि रविवार को भारत की ओर से किये गये ड्रोन हमले में उनके तीन नेता मारे गये हैं. हालांकि, गुवाहाटी के रक्षा जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने इस तरह के ऑपरेशन की कोई जानकारी नहीं होने से इंकार किया है.
क्या है मामलाः
उल्फा-आई ने एक बयान जारी कर हमलों और अपने तीन सदस्यों की मौत की पुष्टि की है. उल्फा-आई के प्रचार विभाग के सहायक सचिव, सेकेंड लेफ्टिनेंट इशान असोम द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में, समूह ने दावा किया कि हमलों के लिए भारतीय सेना ज़िम्मेदार है. ड्रोन हमला रविवार तड़के भारत-म्यांमार सीमा पर नागालैंड के लोंगवा से लेकर अरुणाचल प्रदेश के पंगसौ दर्रे तक हुए. निशाने पर उल्फा-आई और आरपीएफ/पीएलए के विभिन्न शिविर थे.
उल्फा-आई का बयानः
"आज, 13 जुलाई, 2025 को लगभग 2 बजे से 4 बजे तक, भारतीय सेना ने लोंगवा से अरुणाचल-म्यांमार अंतरराष्ट्रीय सीमा पंगसौ दर्रे तक नागालैंड-म्यांमार अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 'यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट, असम (इंडिपेंडेंट)' और 'आरपीएफ/पीएलए' के विभिन्न मोबाइल कैंपों पर इजराइली और फ्रांसीसी निर्मित ड्रोनों का इस्तेमाल करके अचानक हमला किया. 150 से ज़्यादा ड्रोनों ने उनके कैंपों पर बम गिराए. संगठन की निचली परिषद के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल नयन असोम की मौत हो गई"
अंतिम संस्कार के दौरान मिसाइल हमला :
उल्फा-आई का दूसरा बयान भी आया. जिसमें कहा, "ड्रोन हमले में शहीद हुए लेफ्टिनेंट जनरल नयन असोम का अंतिम संस्कार चल रहा था, तभी मिसाइलें दागी गईं. इस हमले में ब्रिगेडियर गणेश असोम और कर्नल प्रदीप असोम की मौत हो गयी. कई अन्य अधिकारी/सदस्यों के साथ-साथ आम नागरिक भी घायल हुए."
भारतीय सेना और मुख्यमंत्री ने किया खंडनः
भारतीय सेना ने हमले में शामिल होने के दावों से इनकार किया है. गुवाहाटी में रक्षा जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "भारतीय सेना के पास ऐसे किसी ऑपरेशन की कोई जानकारी नहीं है."
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी कहा कि राज्य पुलिस ऐसे किसी भी ड्रोन हमले में शामिल नहीं है. मीडिया को संबोधित करते हुए, सरमा ने एक कथित घटना में राज्य पुलिस की भूमिका के बारे में अटकलों का खंडन करते हुए कहा, "असम पुलिस इस घटना में शामिल नहीं है. असम की धरती से कोई हमला नहीं हुआ है."
क्या है उल्फा आईः
गौरतलब है कि परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उल्फा (आई) का केवल एक वरिष्ठ पदाधिकारी, अरुणोदय दोहोतिया म्यांमार में बचा है. म्यांमार के शिविरों से सक्रिय उल्फा (आई) के एक अन्य वरिष्ठ कमांडर, रूपोम असोम को असम पुलिस ने मई में गिरफ्तार किया था. सूत्रों ने खुलासा किया है कि बरुआ, के पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से गहरे संबंध हैं. दावा किया जाता है कि अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में रह रहा था.