लखनऊ। यूपी में समाजवादी पार्टी 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जी-जान से जुट गई है। लखनऊ में पार्टी मुख्यालय में कुछ दिनों से मीडियाकर्मियों और नेताओं की भीड़ लगी है। पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव रोज मीडिया से मुखाबित हो रहे हैं। इस दौरान वह बीजेपी और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अखिलेश ने बीजेपी पर हमले तेज कर दिए हैं।
अखिलेश का पूरा फोकस पीडीए पर है जिसमें पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक शामिल हैं। साथ ही कई जिलों में सरकारी नियुक्तियों के बारे में उनका दावा है कि ये जाति के आधार पर तय होती हैं। सपा नेताओं ने कहा कि पार्टी के सांसद, विधायक और कार्यकर्ता राज्य के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तर पर मुसलमानों, ओबीसी और दलितों से संपर्क कर रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में अखिलेश ने कई प्रेस कॉन्फ्रेंस की है, जिसमें पार्टी सांसद रामजी लाल सुमन पर करणी सेना के सदस्यों द्वारा हमला, राजपूत आइकन महाराणा प्रताप पर कथित अपमानजनक टिप्पणी और पहलगाम आतंकी हमले जैसे मुद्दे उठाए गए हैं।
सपा के फ्रंटल बॉडी, समाजवादी लोहिया वाहिनी द्वारा लगाए गए एक पोस्टर पर विवाद के बाद जिसमें आधे हिस्से में अखिलेश के साथ बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर लगी थी, उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पार्टी कार्यकर्ताओं से सपा नेताओं की तुलना किसी भी प्रमुख व्यक्तित्व से नहीं करने की अपील की। बीजेपी और बसपा ने पोस्टर को लेकर सपा पर निशाना साधा और इसे अंबेडकर का अपमान बताया था। लोहिया वाहिनी के नेता लालचंद्र गौतम के साथ अखिलेश ने मीडिया से कहा कि गौतम भविष्य में ऐसे पोस्टर नहीं लगाएंगे। 
अखिलेश ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए दावा किया कि बीजेपी सरकार में गरीबों, पिछड़े, दलितों, अल्पसंख्यकों के साथ हर स्तर पर भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि गरीबों के साथ अन्याय हो रहा है और उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है। यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी और ‘इंडिया’ गठबंधन ने जब से बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति का अंत किया है तब से बीजेपी घबराई हुई है। उन्होंने कहा कि बीजेपी अपने कट्टर समर्थकों का समर्थन बनाए रखने के लिए नफरत की राजनीति कर रही है और इसके तहत बीजेपी सरकार मदरसों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है और वक्फ संशोधन कानून लायी है।